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उदास मन शायरी
Floral Frame
कहने को तो बहुत अपने होते हैं, पर जब मन उदास हो तब पूछने वाला कोई नहीं होता
उदास ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम, कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से
जब ख़ुशी मिली तो कई दर्द मुझसे रूठ गए, दुआ करो कि मैं फिर से उदास हो जाऊं
उदास तो बहुत रहे, मगर कभी जा़हिर ना किया, सब ठीक है बस इसी लफ्ज़ ने सब संभाल लिया
“उदास” कर देती है हर रोज ये शाम मुझे, लगता है तू भूल रहा है मुझे धीर-धीरे।
जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू, कोई मुझसे यूँ न पूछे तेरा दिल उदास क्यों है?
निशानी क्या बताऊँ तुझे अपने घर की, जहां की गलियां उदास लगे वही चले आना
“उदास” कर देती है हर रोज ये शाम मुझे, लगता है तू भूल रहा है मुझे धीर-धीरे।
शाम होते ही यह दिल उदास होता है, सपनो के सिवा कुछ नहीं पास होता है, आप को बहुत याद करते है हम, यादो का हर लम्हा मेरे लिए ख़ास होता है।
ये हर रोज नए दर्दों का मेरे घर आना कैंसे हो रहा है लगता है कोई मेरा पता ग़मों के दफ्तर में भूल आया है
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