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रात की तन्हाई शायरी

Floral Frame

दिन तो कट जाता है शहर की रौऩक में पर कुछ लोग बहुत याद आते हैं शाम ढल जाने के बाद

ख़्वाब आंखों से गयी, नींद रातों से गई वो गयी तो ऐसा लगा जिंदगी हाथों से गई

तेरी याद कुछ इस तरह आती है नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है

कोई एहसान करदे मुझपे इतना सा बता कर, भुलाया कैसे जाता है दिल तोड़ने वाले को! 

मैंने इश्क़ किया है या कोई कसूर कर दिया है, इन आँखों ने खुद से नींद को दूर कर दिया है.

काश कोई एक रात ऐसी भी आ जाये, नींद आ जाये पर तेरी याद न आये.

गुनाह किये होते, तो माफ भी हो जाते साहिब, ख़ता तो मुझसे ये हुई,कि उनसे इश्क़ हो गया।

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ

हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन, तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नहीं होता