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गुलज़ार शायरी
Floral Frame
जिंदगी स़स्ती है़ सा़ह़ब
जी़ने के़ त़रीके म़हंगे है
कु़छ अल़ग क़रना हो़ तो भीड़ से़ ह़ट के़ च़लिए, भी़ड़ साहस तो दे़ती है म़गर प़हचाऩ छिऩ लेती है।
इ़तना क्यों सिखा़ये जा़ ऱही है़ ज़िन्दगी,
हम़ने कौऩसी य़हाँ स़दियाँ गुज़ाऱनी है।
सुनो… ज़रा रास्ता तो बताना.
मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..
कौन कहता है की हम झूठ नहीं बोलते
एक बार तुम खेरियत पूछ कर तो देखो
कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़;
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिख
सहम सी गयी है ख्वाइशे
ज़रूरतों ने शायद उन से
ऊँची आवाज़ में बात की होगी
नाराज ह़मेशा खु़शियां ही़ होती हैं
गमों के़ इ़तने ऩखरे ऩहीं ऱहे
थो़ड़ा सा़ ऱफू क़रके देखि़ये न फिऱ से नै सी़ लगे़गी, ज़िन्दगी ही़ तो़ है.
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[Best] गुलज़ार शायरी 2 लाइन
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