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आज मन उदास है शायरी
Floral Frame
बहुत उदास था उस दिन मगर हुआ क्या था, हर एक बात भली थी तो फिर बुरा क्या था.
ख़ुशी के दौर तो मेहमाँ थे आते जाते रहे, उदासी थी कि हमेशा हमारे घर में रही।
उदास तो बहुत रहे, मगर कभी जा़हिर ना किया, सब ठीक है बस इसी लफ्ज़ ने सब संभाल लिया
कलम से लिख नहीं सकते उदास दिल के अफ़साने, हमारे साथ जो होता है बस ‘अच्छा’ नहीं होता।
ये हर रोज नए दर्दों का मेरे घर आना कैंसे हो रहा है
लगता है कोई मेरा पता ग़मों के दफ्तर में भूल आया है
निशानी क्या बताऊँ तुझे अपने घर की, जहां की गलियां उदास लगे वही चले आना
वो उदासी की वजह पूछ रहा है, और मुझको तो बहाने भी बनाने नही आते।
कहने को तो बहुत अपने होते हैं, पर जब मन उदास हो तब पूछने वाला कोई नहीं होता
उदास ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम, कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से
तुम से नहीं अपने आप से नाराज हूँ मै, बस इसलिए आज तन्हा और उदास हूँ मै.
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