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चार दिन की ज़िन्दगी शायरी
Floral Frame
ख्वाहिशें तो हजारों है साहब
पर सुना है ज़िन्दगी सिर्फ़ चार दिन की है।।
चार दिन की ज़िन्दगी, मै किस से कतरा के चलू, खाक हु, मै खाक पर क्या खाक इतरा के चलू
जिंदगी चाहे एक दिन की हो या चार दिन की
उसे ऐसे जियो जैसे जिंदगी तुम्हें नहीं जिंदगी को तुम मिले हो!
कभी है ढेरो खुशियां तो कभी गम बेहिसाब है, चार दिन की जिंदगी
है बड़ी लाजवाब।।
चार दिन की ज़िन्दगी में सबक हजार मिले,
शुक्रिया ज़िन्दगी तूने मौके हजार दिए
सबक तो तूने बहुत सिखायें ऐ जिंदगी, मगर शुक्रिया तेरा, तूने किसी का दिल तोड़ना नहीं सिखाया।
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जिंदगी चार दिन की थी मगर हम अनजान थे
ऐसे लोगो पर फिदा हुए जो बेजान थे
रखते रहे पर्दा हम उनकी बेवफाई पर
वही क़ातिल निकल जिस पर हम मेहरबान थे
कई बार टूटा,कई बार बिखरा, शुक्रिया जिंदगी तूने हर बार सम्हाला…
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चार दिन की जिंदगी है, हंस के जियो, भूल के गम सारे,दिल से जिओ अपने लिए न सही,अपनों के लिए जिओ
चार दिन की जिंदगी, चार दिन का मेला है, आया तू अकेला जग में, जाए भी अकेला है
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