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सब्र का इम्तिहान शायरी

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सब्र से बेहतर इलाज और  ख़ामोशी से बेहतर सजा और कुछ नही

सुनो सब्र की भी एक सीमा होती है, गर लौटना नही है तो बता देना

यूँ हमारे सब्र का इम्तिहान न लो तुम, किसी दिन चले गये तो बहुत पछताओगे।

रोता हुआ हर एक पल मुस्कुराएगा, सब्र रख मेरी जान, तेरा भी वक़्त आयेगा।

रोज़ रोज़ मांगने का किस्सा ख़त्म किया,  ख़ुदा से एक दिन मैंने सबर मांग लिया !!

उस घमंडी मंज़िल को ज़रा भी खबर नहीं, उसका गुरूर टूट सकता है पर मेरा सब्र नहीं।

पहले भी था सब्र अभी भी जारी है, कभी तो कहेगा वक्त आ अब तेरी बारी है।

बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखकर हवाओं में उड़ो,  परिंदे बताते है की आसमान में ठिकाने नहीं होते।

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मेरे पास था भी क्या एक सब्र के सिवा, वो भी आज लुटा बैठे हैं तेरे इंतजार में।

मेरी सब्र का इम्तेहान ना लो, चाहो तो मेरी जान लेलो।

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