छोटी सी जिन्दगी है हंस के जियो , भुला के गम सारे, दिल से जियो, उदासी में क्या रखा है, मुस्कुरा के जियो, अपने लिए न सही अपनो के लिए जियो।

शिकायतें कम किया कीजिए जनाब आप जो जिंदगी जी रहे हो वो जिंदगी भी किसी के लिए सपना है

चूम लो हर मुश्किल को अपना मान कर क्यूकि  ज़िन्दगी कैसे भी है, है तो अपनी ही

जिंदगी तू हर पल सिखाती हैं कभी डाट कर कभी प्यार से समझाती हैं गलती से सिखना ही असल जिन्दगी हैं वरना ये जिन्दगी काटों पर भी सुलाती हैं

जो लम्हा साथ है उसे जी भर के जी लेना ये कमबख्त ज़िन्दगी भरोसे के काबिल नहीं है

सपने ऐसे देखो जैसे आप हमेशा जीवीत रहोंगे,  और ऐसे जिओ जैसे आप आज ही मरने वाले हो।

कुछ इस तरह फ़कीर ने ज़िन्दगी की मिसाल दी, मुट्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी

धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो, ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो। – निदा फ़ाज़ली

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आँखों में पानी रखो, होंठो पे चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो, राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें, रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो..

ज़िन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब है, शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे है

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