एक तुम हो सनम कि कुछ कहती नहीं, एक तुम्हारी यादें हैं, कि चुप रहती नही।

जहाँ भूली-बिसरी यादें दामन थाम लें दिल का, वहां अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा है।

तेरी यादों को पसन्द है मेरी आँखों की नमी, हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी।

कुछ दिल में, कुछ कागजों पर किस्से आबाद रहे, कैसे भूले उन्हें, जो हर धड़कन में याद रहे।

किसी कि यादों ने हमें बेहिसाब तन्हा कर दिया, वरना हम खुद में किसी महफ़िल से कम न थे।

तुम याद आओगे यकीन था, इतना आओगे अंदाजा न था।

बड़ा अजीब सा ज़हर था उसकी याद में, पूरी उम्र गुजर गई... यूँ ही मरते-मरते।

अपनी यादों से कहो एक दिन की छुट्टी दें मुझे, मोहब्बत के हिस्से में भी इतवार होना चाहिये।

फुर्सत नहीं हमें... अब कुछ और करने की, तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती हैं।

फिर उसकी याद, फिर उसकी आस, फिर उसकी बातें, ऐ दिल लगता है तुझे तड़पने का बहुत शौक है।

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