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उस बेवफ़ा के लिए शायरी

Floral Frame

इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए।

बहुत भीड़ हो गयी है तेरे दिल में, अच्छा हुआ जो हम ठीक वक़्त पर निकल गए 

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।

तेरे बाद ना रखी किसी से भी मोहब्बत की आस एक तजुर्बा ही काफी था जो सब कुछ सिखा गया

अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे कहने लगी है, इश्क़ मुझसे करलो मैं बेवफा नहीं हूँ

दो शब्दों में सिमटी है मेरी मोहब्बत की दास्तान, उसे टूट कर चाहा और चाह कर टूट गये।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता 

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी

उसने जी भर के मुझको चाहा था, फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया।

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