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जिंदगी का सफ़र शायरी 

Floral Frame

रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में, मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।

ज़ख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं, छोङ इन बातों को ज़िंदगी तू तो बता, सफर और कितना बाकी है…

यही बुरा भी है और यह अच्छा भी, की जिंदगी का सफर कैसा भी हो, हम हर हाल में जी लेते हैं…

हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब.

उम्र बिना रुके सफर कर रहीं है, और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े है।

शौक ए सफर कहाँ ले गया हमें, हम जिसको छोड़ आये है मंजिल  वहीं तो थी।

जिन्दगी के सफर में ये बात भी आम रही की मोड़ तो आये कई मगर मंजिले गुमनाम रही।

अकेले ही तय करने होते है कुछ सफर हर सफर में हमसफर नहीं होते।

ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं, ये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं, रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं। – “निदा फाजली”