दोस्तों 4 दिन की जिंदगी है जैसा चाहो वैसा जी लो, समय कब गुजर जाए पता भी नही चलता। अगर कुछ सपने हैं तो उन्हें पाने की कोशिश करो, जिंदगी में सुख और दुःख आयेंगे पर इनमे तुम न उलझो। वक्त कम है कभी किसी से रूठना, झगड़ना नही। अपनों के संग प्रेम और ख़ुशी से रहो ये जिंदगी कब कट जाएगी पता भी नही चलेगा। आइये चार दिन की जिंदगी पर लिखी गयी कुछ शायरियां पढ़ते हैं।
चार दिन की जिंदगी शायरी
ज़िन्दगी सिर्फ चार दिन की दास्ताँ हैं
कहीं रूठने मनाने में ना निकल जाए
गलती की है तो माफ़ कर मगर यूँ ना नज़रंदाज़ कर।
चार दिन की ज़िन्दगी,
मै किस से कतरा के चलू,
खाक हु, मै खाक पर
क्या खाक इतरा के चलू
जिंदगी चार दिन की थी मगर हम अनजान थे
ऐसे लोगो पर फिदा हुए जो बेजान थे
रखते रहे पर्दा हम उनकी बेवफाई पर
वही क़ातिल निकल जिस पर हम मेहरबान थे।
यूं माना ज़िंदगी है चार दिन की,
बहुत होते हैं यारों, चार दिन भी।।
ख्वाहिशें तो हजारों है साहब
पर सुना है ज़िन्दगी सिर्फ़ चार दिन की है।।
कभी है ढेरो खुशियां तो
कभी गम बेहिसाब है,
चार दिन की जिंदगीहै बड़ी लाजवाब।।
जिंदगी चाहे एक दिन की हो या चार दिन की
उसे ऐसे जियो जैसे जिंदगी तुम्हें नहीं जिंदगी को तुम मिले हो!
चार दिन है ये जि़न्दगी, इसे हंसी -खुशी में काट ले
मत किसी का दिल तु दुखा, दर्द सबके बाँट ले
कुछ नही हैं साथ जाना, एक नेकी के सिवा,
कर भला हो भला, गाँठ में ये बांध ले.!!
इस चार दिन की जिंदगी में,
हम अकेले रह गए,
मौत का इंतजार करते करते,
अकेलेपन से मोहब्बत कर गए।
जिंदगी चाहे एक दिन की हो या चार दिन की
उसे ऐसे जियो जैसे जिंदगी तुम्हें नहीं
जिंदगी को तुम मिले हो!
चार दिन की जिंदगी है, हंस के जियो,
भूल के गम सारे,दिल से जिओ
अपने लिए न सही,अपनों के लिए जिओ
चार दिन की जिंदगी,
चार दिन का मेला है,
आया तू अकेला जग में,
जाए भी अकेला है
चार दिन की ज़िन्दगी में सबक हजार मिले,
शुक्रिया ज़िन्दगी तूने मौके हजार दिए
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