ऐ कलम जरा रुक-रुक के चल……………..




Ae KALAM jra RUK-RUK k CHAL
kya GAZAB ka MUKAAM aaya hai,




Thodi der thehar ja use dard na ho,




Teri nok k neeche mere “DOST”ka naam aaya hai.!

आए कलम जरा रुक-रुक क चल;

क्या ग़ज़ब का मुकाम आया है,

थोड़ी देर ठहर जा उसे दर्द ना हो,

तेरी नोक क नीचे मेरे “दोस्त”का नाम आया है.!

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