तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी;
फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे;
तू सज गई,
मुझे भी सजाया गया;
तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे;
तू सज गई,
मुझे भी सजाया गया;
तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू उठ के
गई, मुझे उठाया गया;
महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे;
फर्क सिर्फ इतना सा था, उनका हंसना वहां ,
इनका रोना यहां;
काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था;
दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े;
तेरा निकाह पढ़ा
गई, मुझे उठाया गया;
महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे;
फर्क सिर्फ इतना सा था, उनका हंसना वहां
इनका रोना यहां;
काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था;
दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े;
तेरा निकाह पढ़ा
फर्क सिर्फ इतना सा था, तुझे अपनाया गया, मुझे दफनाया गया !