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दर्द भरी ज़िन्दगी शायरी 

Floral Frame

जख्म कहां-कहां से मिले छोड़ इन बातों को, जिंदगी तू यह बता सफर कितना बाकी.

फिर से निकलूंगा तलाश -ए-जिन्दगी में, दुआ करना दोस्तो इस बार किसी से इश्क ना हो.

जहर देता हैं कोई कोई दवा देता हैं. जो भी मिलता हैं मेरा दर्द बढ़ा देता हैं.

एक दिन वक्त भी साथ बैठकर रोया मेरे, कहने लगा तू तो ठीक है बस मैं ही खराब हूं।

वो रोइ जरूर होगी खाली कागज़ देख कर , ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने

मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में, मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का, मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।

पता है लाश पानी पर क्यों तैरती है? क्योंकि डूबने के लिए ज़िंदगी चाहिए

फिर एक दिन ऐसा भी आया जिन्दगी में.. की मैंने तेरा नाम सुनकर मुस्कुराना छोड़ दिया।

महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए, ये दुनिया की रस्म है इसे मोहब्बत ना समझ लेना.

वो कहतें हैं , बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की, वो साफ़ लफ़्ज़ों में , ख़ुद को बेवफ़ा नहीं कहते.