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दोस्ती, इश्क और चाय शायरी
Floral Frame
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हर घुट में तेरी याद बसी है कैसे कह दूँ चाय बुरी हैं
चाय जैसी उबल रही है ज़िंदगी मगर, हम भी हर घूँट का आनंद शौक़ से लेंगे
महफ़िल में रंग बिखेर जाती है
वो चाय ही है जनाब..
जो लोगो को एक साथ बिठाती है
छोड़ जमाने की फ़िक्र यार, चल किसी नुक्क्ड़ पे चाय पीते है.
ज़रूरत से ज्यादा बेमिसाल हो तुम, थोड़ी सावंली हो, पर चीज़ कमाल हो तुम।
ये सर्दियों का मौसम कोहरे का नजारा,
चाय के दो कप, बस इन्तजार तुम्हारा
हम ज़िन्दगी को बड़े ही जिन्दादिली से जीते है, मजा तब आता है जब चाय दोस्तों के संग पीते है
लोगों को मिलता होगा सुकून इश्क से, हमें तो सुबह की चाय के बिना चैन नहीं।
सर्दी में चाय सा है, आपका प्यार,
जितना मिले, कम ही लगता है.
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