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ख्वाहिश शायरी 

Floral Frame

ख्वाहिश नहीं है कि टूट कर चाहो तुम मुझे, ख्वाहिश बस इतनी है कि टूटने न देना मुझे.

एक अजीब रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियां वो मुझे जीने नहीं देती और में उन्हें मरने नहीं देता

ख्वाहिशों से भरा पड़ा है घर इस कदर रिश्ते जरा सी जगह को तरसते हैं - गुलज़ार

कुछ मुकदमे दायर होने चाहिए हम पर भी अपनी ख्वाहिशों का कत्ल किए बैठे हैं हम

ख्वाहिश तो बस अब यही है आंख खुले तो तेरा साथ हो आंखे अगर बन्द हो तो तेरा ही ख्वाब हो

ज़ख्म बहुत गहरे थे फिर भी मुस्कराते रहे हम हर पल ख्वाहिशें पूरी करने को मरते रहे हम

कोशिशों के बाद भी जो मुकम्मल ना हो सके तेरा नाम भी उन्हीं ख्वाहिशों में शामिल है

ज़िन्दगी ने मेरे मर्ज का एक कारगर इलाज बताया वक़्त को दवा कहा और ख्वाहिशो का परहेज़ बताया

मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये.!!

ख़्वाहिश ये नहीं की तारीफ़ हर कोई करे कोशिश ये ज़रूर है की कोई बुरा ना कहे