111+ चाय पर शायरी | दोस्ती, इश्क और चाय शायरी

आज हम चाय पर शायरी लेकर आये हैं। भारत में ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत चाय के साथ होती। सुबह की चाय हो या शाम की, सर्दी की हो या गर्मी की, चाय से प्यार कभी कम नही होती। चाय हमारे जीवन का हिस्सा है तो क्यों न इसपर भी कुछ शायरी हो जाए। निचे हमने चाय पर शायरी 2 लाइन, चाय और दोस्ती शायरी, इश्क और चाय शायरी दी है जो आपको जरुर पसंद आयेगी।

चाय पर शायरी

चाय पर शायरी

मुझे अफसोस नहीं, आज जहाँ हूँ मैं,
चाय साथ है, अकेला कहाँ हूँ मैं।

एक कप चाय दो दिलों को मिला देती है,
एक कप चाय दिन भर की थकान मिटा देती है

दो चीजें जिंदगी में अच्छी लगती है
लहजे नरम, चाय गरम

लहजा थोड़ा ठडां रखे साहब
गर्म तो हमें सिर्फ़ चाय पसदं है

मिलो कभी इस ठंड में, चाय पर कुछ किस्से बुनेंगे..
तुम खामोशी से कहना, और हम चुपचाप सुनेंगे

चाय से हमारी मोहब्बत को कोई क्या जाने,
हर घूंट को महसूस करते हैं हम बड़ी तस्सली से।

दुनिया का हर नशा चैन की नींद सुलाता है,
एक चाय ही ऐसा नशा है जो होश में लाता है।

एक कप अच्छी चाय,
तीन ब्रेकअप का गम मिटा देती है..

उसका पहला प्यार चाय था,
हम ये सुनते ही उनसे इश्क कर बैठे।

हम तो निकले थे मोहब्बत की तलाश में,
सर्दी बहुत लगी चाय पीकर वापस आ गये।

वो कितनी खूबसूरत है और उसकी बातें कितनी मीठी,
कभी-कभी हम साथ में उसके फीकी चाय तक पी जाते हैं।

तीन ही शौक थे मेरे
इक चाय
इक शायरी और तुम

चाय सिर्फ चाय नहीं ये दवा है

दु:ख की दर्द की मोहब्बत की..

मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम, 
मैंने चाहा है तुम्हें चाय की तरह

रजाई में हैं हम और उनकी यादें हैं सीने में,
ऐसी सर्द सुबह का मजा तो है गर्मागर्म चाय पीने में।

सर्दियों के बस दो ही जलवे,
तुम्हारी याद और चाय

चाय और चरित्र जब भी गिरते है,
दाग दे ही जाते है

छोड़ जमाने की फ़िक्र यार,
चल किसी नुक्क्ड़ पे चाय पीते है.

कड़क ठंडक में कड़क चाय का मजा
शराबी क्या जाने ? चाय का नशा

उन्होंने कहा चाय में चीनी कितनी लीजियेगा
हमें कहा बस एक घुट पी के दीजिये

ज़रूरत से ज्यादा बेमिसाल हो तुम,

थोड़ी सावंली हो, पर चीज़ कमाल 

हो तुम। 

चाय पर शायरी 2 लाइन

चाय पर शायरी 2 लाइन

चाय जैसी उबल रही है ज़िंदगी मगर,
हम भी हर घूँट का आनंद शौक़ से लेंगे

पहले चाय पर तुझसे बातें होती थीं
अब चाय संग तेरी बातें होती हैं।

क्या बताऊं उसकी बातें कितनी मीठी हैं,
सामने बैठ के फीकी चाय पीता रहता हूँ

ताउम्र जलते रहे हैं धीमी धीमी आँच पर,
तभी ये इश्क़ और चाय मशहूर हुए हैं?

हर घुट में तेरी याद बसी है
कैसे कह दूँ चाय बुरी हैं

सर्दी में चाय सा है, आपका प्यार,

जितना मिले, कम ही लगता है..

किस हक से तुझे चाय पर बुलाऊं,

तुम मेरे होने का कभी दावा तो करो।

चाय की चुस्की के साथ अक्सर कुछ गम भी पीता हूँ,
मिठास कम है जिंदगी में मगर जिंदादिली से जीता

दूध से ज्यादा शौकीन देखे हैं मैंने चाय के,
जमाना कद्रदान है अभी भी रूहानियत का।

ये सर्दियों का मौसम कोहरे का नजारा,

चाय के दो कप, बस इन्तजार तुम्हारा

अपनी जिंदगी का यही फलसफा है,
एक कप चाय और बाकि नाम ए वफा है।

ज़िन्हे चाय से लगाव होता है
उसके दिल में जरूर घाव होता हैं

तेरी मोहब्बत का नशा है मुझे चाय की तरह,
सुबह उठते ही सबसे पहले तेरी याद आती है।

कुछ इस तरह से हम शक्कर को बचा लिया करते हैं,
पीते हैं जब चाय, तो यादों में महबूब को बिठा लिया करते हैं।

अंदाजा नहीं है तुम्हें हमारी मोहब्बत का,
जब रूठ जाते हो तुम, तो चाय में मिठास नहीं रहती।

आज फिर उसकी यादों में ही खोए रह गए,
चाय तो पी ली पर बिस्किट धरे के धरे रह गए।

ढलते सूरज को देखकर हम अपनी ख्वाहिश बयां कर देते हैं,
महबूब से कहकर दो-तीन कप चाय और बनवा लेते हैं।

माना कि जिंदगी तेरे बिना भी ठीक से गुजर जाती है,
पर आज भी चाय की हर चुस्की में तेरी कमी महसूस होती है।

अदाए तो दिखिए बदमाश चायपत्ती की, 
थोडा सा दूध में क्या डाली शर्म से लाल हो गयी 

सुनो तुम चाय अच्छी बनाती हो
पर मुंह बनाने में भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं

मेरी चाय आज फिर से ज़्यादा मीठी हो गई,

कितनी बार कहा है कि बार बार तुम याद ना आया करो।

इश्क और चाय शायरी

चाय भी इश्क़ जैसी है.. जिसकी आदत पड गयी वो कभी छुटती ही नही

जनाब! चाय और इश्क़ नहीं…
“चाय से ही इश्क़ है” यह कहिए

वो मोहब्बत अपने अंदाज मे जताता है,

जब खुश होता है मेरे लिए चाय बनाता है

चाय सा इश्क किया है तुम लोगों से

ना मिलो तो सर में दर्द सा रहता है

मोहब्बत हो या चाय..

एकदम कड़क होनी चाहिए

हाथ में चाय और यादों में आप हो,
फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो।

अजी दफा करो मोहब्बत को, चलो बैठकर चाय पीते हैं,
मिलेगा गम जब मोहब्बत में, तो चाय ही काम आएगी।

मेरी चाय की चीनी और खाने का नमक हो तुम,
कैसे तुम्हे समझाऊं की मेरे दिल की धडक हो तुम।

महकती थी जो कभी सुबह की चाय वो अब बेस्वाद हो गई,
जब से तेरे मेरे बीच ये दूरियां आम हो गई।

ज़िन्हे चाय से लगाव होता है,
उसके दिल में जरूर घाव होता हैं।

वो चाय बहुत अच्छी बनाती है,
एक यही वजह काफी है,उससे मोहब्बत करने के लिए।

सुनो मेहबूबा, एक राय है,
तुमसे बेहतर तो मेरी चाय है।

जैसे जैसे इन सर्दियों में कोहरा हुआ 

चाय के साथ मेरा इश्क़ और गहरा हुआ। 

चाय और दोस्ती शायरी

चाय और दोस्ती शायरी

हम ज़िन्दगी को बड़े ही जिन्दादिली से जीते है,
मजा तब आता है जब चाय दोस्तों के संग पीते है

ना इश्क़, मोहब्ब्त और प्यार, और ना ही किसी का दीदार,

हमे तो पसन्द है अपने दोस्तों के साथ वो कुल्हड़ वाली चाय।

मैं तुम और एक कप चाय ,
ख्याल कैसा हैं।

चाय तो वो मरहम की पट्टी है दोस्त
जो इश्क़ के घाव को भर देती है

गम-ए-इश्क़ को कुछ इस कदर भुला आया,
मैं पुराने दोस्तों के साथ अदरक वाली गर्म चाय पी आया

महफ़िल में रंग बिखेर जाती है ..

वो चाय ही है जनाब..

जो लोगो को एक साथ बिठाती है

न चाय से हुई, न कॉफ़ी से हुई,
हमारी दोस्ती की शुरुआत टॉफ़ी से हुई.

बस चंद बातें … और एक कप चाय खुशनुमा जिन्दगी

महंगी गाड़ी में भी.. सस्ती ‘चाय’ पीया करते है..

अपनी ख्वाबो की दुनिया में.. हम इस तरह जीया करते है

चलो इस बेफिक्र दुनिया को खुल कर जी लेते हैं…

सब काम छोडो… पहले चाय पी लेते हैं

जाने-अनजाने में भी किसी का दिल नहीं दुखाते है,
अक्सर हम चाय पर अपने दोस्तों को घर बुलाते है

सुबह की चाय शायरी

सुबह की चाय शायरी

सुबह की चाय और बड़ों की राय लेते रहना चाहिए

रोज सुबह लेकर बैठता हूं एक कप चाय,
और बाल्टी भर यादेँ।

यादों में आप और हाथ में चाय हो..

फिर उस सुबह की क्या बात हो

इश्क़ और सुबह की चाय दोनों एक समान होती हैं,
हर बार वही नयापन, हर बार वही ताज़गी

लोगों को मिलता होगा सुकून इश्क से,
हमें तो सुबह की चाय के बिना चैन नहीं।

सुबह की चाय और माँ की दुआँऐ,
खुशनसीबों को ही मिलती हैं…

जब सुबह-सुबह.. तेरे प्यार के नग्में को गुनगुनाता हूँ

लब मुस्कुराते है.. जब चाय का कप उठाता हूँ

आज भी याद है, वो सर्द-सुबह चाय की प्याली,
उसकी आँखों का काजल बातें मतवाली

हर रोज़ होता है मुझे इश्क़ तुमसे,
तुम मेरी सुबह की पहली चाय से हो गए हो।

इश्क तो निकम्मा है गालिब …..
तन्हाईयो की ये प्यास तो….
चाय ही बुझाती है

शाम की चाय शायरी

शाम की चाय शायरी

कैसे कहे कोई नहीं है हमारा,
शाम की चाय रोज बेसब्री से इंतज़ार जो करती है।

ये दिसंबर का महीना और ये सर्द शाम
तुम पास होती तो एक एक कप चाय पीते

उफ्फ! ये इश्क और ये तन्हा शाम,
एक हाथ में चाय की प्याली,
और लबों पर अभी भी उसका नाम।

आखिर एक शाम हमने पूछ ही लिया उनसे,
सुनो कैसी लगती है वो चाय जो मेरे बगैर पीते हो।

अक्सर तन्हाई में गुजर जाया करती हैं शामें मेरी,
दिल कहता है काश कोई शाम की चाय पर बुला ले मुझे।

शाम की इक चाय तुम्हारी, इक चाय हमारी,
कुछ किस्से तुम्हारे और कुछ किस्से हमारे।

चलो एक ख्वाब देखते है तुम और मैं एक साथ देखते है
घर के छत चाय के कप के साथ हर एक शाम देखते है

काश मेरी एक ख्वाहिश पूरी हो जाए,
किसी शाम एक कप चाय आपके साथ हो जाए

कुल्हड़ वाली चाय शायरी

कुल्हड़ वाली चाय शायरी

कुल्हड़ वाली चाय और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाती है,
मेरी भारत की मिट्टी की खुश्बू जो उसमे घुल जाती है।

ना इश्क़, मोहब्ब्त और प्यार, और ना ही किसी का दीदार,

हमे तो पसन्द है अपने दोस्तों के साथ वो कुल्हड़ वाली चाय।

न उस से पहले न उसके बाद किसी का होता है,
कुल्हड़ का जन्म तो बस चाय के लिए होता है।

जलाकर अपना कलेजा.. चाय को बांहों में भरता है..

कुल्हड़ जैसा इश्क़.. भला कौन करता है

जाकर उसकी बाहों में वो उसके रंग में खो जाती है
चाय भी अपना नाम बदल कर कुल्हड़ वाली हो जाती है।

पीकर कप में या गिलास में कहाँ मज़ा वो आता है,
चाय को लेकर बाहों में कुल्हड़ जो स्वाद दिलाता है।

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