उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..
 ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
 मैं दो चाल लिए बैठा हूँ 
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ l
 चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक..
 गिरेबान में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
 ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
 मुझे क्या फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त… बेमिसाल लिए बैठा हूँ..