तुझे खोने का डर शायरी
तुझे खोने के डर से
तुझे पाया ही नहीं
अब तक तड़प रहा हूँ मैं
पर तुझे बताया ही नहीं
तुझे पाया भी नही है , मगर खोने से डरता हूँ ,अब तू ही सोच मैं तुझसे कितनी मोहब्बत करता हूँ!
हाँ तुझे किसी और के साथ देख कर जलता हूँ मैंक्यूँकि तुझे खोने से डरता हूँ मैं
तुमको पाने की तमन्ना नहीं फिर भी खोने का डर है,
कितनी शिद्दत से देखो मैनें तुमसे मोहब्बत की है।
कर रहा हूँ तुम्हे पाने की तमाम कोशिशेंतकदीर में न लिखी हो जुदाई, बस इस बात से डरता हूँ
जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का
जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का,
वो क्या अफ़सोस करता मेरे न होने का.
मैं दो चीजों से डरता हूँएक तेरा रोने से,और दूसरा तुझे खोने से
तु अगर मुझे छोड जाए…
ए सांस धीरे से थाम जायेगी !!
तेरा साथ अगर ना मिले मुझे,
ज़िन्दगी मेरी अचनाक रूक जायेगी !!
ना जाने वो कौन सी डोर है
जो तुझ संग जुड़ी है,
दूर जायें तो टूटने का डर है,
पास आयें तो उलझने का डर है
इतना मजबूत हूँ की हजारों मुसीबतें झेल सकता हूँ,पर आज भी तुझे खोने से डरता हूँ
अजीब कहानी है इश्क और मोहब्बत की,
उसे पाया ही नहीं फिर भी खोने से
डरता हूँ…
काश तू मेरे आँखों का आंसू बना जाएँ,
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,
जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं
तुमसे मोहब्बत करने से डर लगता है
तुम्हारे करीब आने से डर लगता है,
तुम्हारी वफाओं पर भरोसा है
पर अपनी नसीब से डर लगता है
अजीब सी कशमकश है…
डर ये है कि कही उसे खो ना दे,
सच ये है कि कभी उसे पाया ही नहीं.
तुम्हारी गलतियों का अहसास है मुझे फिर भी मैं चुप हूँ,डरता हूँ कहीं तुम रूठकर चली न जाओ