Ae KALAM jra RUK-RUK k CHAL
kya GAZAB ka MUKAAM aaya hai,
Thodi der thehar ja use dard na ho,
Teri nok k neeche mere “DOST”ka naam aaya hai.!
आए कलम जरा रुक-रुक क चल;
क्या ग़ज़ब का मुकाम आया है,
थोड़ी देर ठहर जा उसे दर्द ना हो,
तेरी नोक क नीचे मेरे “दोस्त”का नाम आया है.!
subha allah