महफ़िल जब लगी थी यारो की मुझको भी बुलावा आया था..
कैसे ना जाते हम उनकी कसमे देकर जो बुलवाया था
जब कहने को कुछ कहा गया तो ख़याल उनका ही आया था
फिर लफ्ज़-लफ्ज़ जोड़ के मैने दिल का दर्द सुनाया था
तब आँसू उसकी यादो के ना-ना करते निकल गये
जो समझे वो खामोश रहे बाकी वा वा करते निकल गये
—————-
Mehfil jab lagi thi yaaro ki mujhko bhi bulawa aaya tha..
Kaise na jate hum Unki kasme dekar jo bulwaya tha
Jab kahne ko kuch kaha gaya to khayal unka hi aaya tha
Phir Lafz-Lafz jod ke maine Dil ka dard sunaya tha
Tab aansu uski yaado ke na-na karte nikal gaye
Jo samjhe wo khamosh rahe baaki WAH WAH karte nikal gaye
समझें को समझदार कहते हैं और न समझें को नसमझ