भारतीय भक्ति संगीत में कबीर दास के भजन हमेशा से ही लोगों के हृदय को छूते आए हैं। उनमें जीवन की गहरी सच्चाइयों और भक्ति के महत्व को सरल और प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध भजन है “साधु यही घड़ी यही बेला”, जो हमें यही संदेश देता है कि जीवन का हर पल मूल्यवान है और उसे भक्ति, साधना और आत्मचिंतन में बिताना चाहिए।

साधु यही घड़ी यही बेला Lyrics
साधु यही घड़ी यही बेला
साधु यही घड़ी यही बेला
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
मानुष जन्म दुहेला
साधु यही घड़ी यही बेला
साधु यही घड़ी यही बेला
ना कोई संगी, ना कोई साथी
ना कोई संगी, ना कोई साथी
जाता हंस अकेला
साधु यही घड़ी यही बेला
साधु यही घड़ी यही बेला
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
मानुष जन्म दुहेला
साधु यही घड़ी यही बेला
क्यों सोया, उठ जाग सवेरा
क्यों सोया, उठ जाग सवेरा
काल मारेंदा सेला
साधु यही घड़ी यही बेला
साधु यही घड़ी यही बेला
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
मानुष जन्म दुहेला
साधु यही घड़ी यही बेला
कहते कभी गुरु गुण गावो
कहते कभी गुरु गुण गावो
झूठा है सब मेला
साधु यही घड़ी यही बेला
साधु यही घड़ी यही बेला
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
लाख खर्च फिर हाथ ना आवे
मानुष जन्म दुहेला
साधु यही घड़ी यही बेला
भजन का अर्थ और संदेश
इस भजन में कबीर दास हमें चेतावनी देते हैं कि जीवन का हर पल अनमोल है।
- साधना और भक्ति का महत्व: “साधु यही घड़ी यही बेला” का अर्थ है कि आज का समय भक्ति और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय है। इसे व्यर्थ न जाने दें।
- लाभ के साथ मेहनत: “लाख खर्च फिर हाथ ना आवे” हमें बताता है कि केवल सांसारिक चीजों में समय और ऊर्जा खर्च करना व्यर्थ है।
- साथ और अकेलापन: भजन में यह भी कहा गया है कि जब तक हम अपने भीतर की साधना नहीं करेंगे, कोई संगी या साथी हमें सच्चा मार्ग नहीं दिखा सकता।
- सजग रहने की सीख: “क्यों सोया, उठ जाग सवेरा” हमें चेतावनी देती है कि समय अनवरत चलता रहता है और यह किसी का इंतजार नहीं करता।
क्यों यह भजन आज भी प्रासंगिक है?
आज की तेज़-तर्रार और व्यस्त जीवनशैली में हम अक्सर अपने जीवन के अनमोल पल गंवा देते हैं। कबीर दास का यह भजन हमें याद दिलाता है कि समय के साथ भक्ति, साधना और ज्ञान को प्राथमिकता देना चाहिए। यह न केवल हमारी आत्मा को शांति देता है, बल्कि जीवन में उद्देश्य और दिशा भी प्रदान करता है।
निष्कर्ष
“साधु यही घड़ी यही बेला” केवल एक भजन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक मार्गदर्शन है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन अनमोल है और हमें इसे सही दिशा में उपयोग करना चाहिए। कबीर दास का यह संदेश सदियों से लोगों को प्रेरित करता आ रहा है और आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करता रहेगा।