रातों का मंज़र अज़ीब लगता है
साया तेरी यादों का करीब लगता है,
लहरें आकर वापिस हो जाती है,
वो साहिल तन्हा अज़ीब लगता है.
उसको यादों की कीमत का पता है,
तभी तो वो दिल का मरीज़ लगता है.
वो सनम मायूस है तो क्या हुआ,
फिर भी वो मेरा हबीब लगता है…
Lahrein Aakar Waapis Ho Jaati Hai
Usko Yaadon Ki Keemat Ka Pata Hai
Tabhi Toh Woh Dil Ka Mareez Lagta Hai
Woh Sanam Maayus Hai Toh Kya Hua
Fir Bhi Woh Mera habeeb Lagta Hai…
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