Ek Nnha sa Deep: Diwali Shayri

एक नन्हा सा दीप। नाजुक सी बाती। उसका शीतल सौम्य उजास |

झिलमिलाती रोशनियों के बीच इस कोमल दीप का सौन्दर्य बरबस ही मन मोह लेता है |

कितना सात्विक, कितना धीर बेशुमार पटाखों के शोर में भी शांत भाव से मुस्कराता हुआ |

टूट कर बिखर-बिखर जाती अनार की रोशन लड़‍ियों के बीच भी जरा नहीं सहमता, थोड़ा-सा झुकता है |

और फिर तैयार पूरी तत्परता से जहान को जगमगाने के लिए |

स्नेहदीप के साथ आपको और आपके परिवार दिवाली की मधुर शुभकामनाएं

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