जिंदगी पर कई सारी खूबसूरत शायरियां लिखीं गयी हैं। हमारी जिंदगी में हमेशा उतार-चढाव आते रहते हैं लेकिन जिंदगी का सफ़र हमेशा चलता रहता है, यह एक पल भी नही ठहरती। आज हम जिंदगी का सफ़र शायरी लेकर आये हैं जिसमे जिन्दगी के सफ़र पर बेहतरीन लाइने लिखीं गयीं हैं।
जिंदगी का सफर शायरी
शौक ए सफर कहाँ ले गया हमें,
हम जिसको छोड़ आये है मंजिल
वहीं तो थी।
उम्र बिना रुके सफर कर रहीं है,
और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े है।
यही बुरा भी है और यह अच्छा भी,
की जिंदगी का सफर कैसा भी हो,
हम हर हाल में जी लेते हैं…
आगे सफर था और पीछे हमसफ़र था,
रुकते तो सफर छूट जाता
और चलते तो हमसफर छूट जाता।
जिन्दगी के सफर में ये बात भी आम रही
की मोड़ तो आये कई मगर मंजिले गुमनाम रही।
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो – निदा फ़ाज़ली
रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।
अकेले ही तय करने होते है
कुछ सफर हर सफर में हमसफर
नहीं होते।
Zindagi ka Safar Quotes in Hindi
जब हमसफ़र अपना बेखबर हो जाते है तब
वो ज़िन्दगी में हमारे गमों का सफर लाता है
ये बस माँ की दुआओं का असर है
की आज इस बेजान जिन्दगी में भी थोड़ा सफर है।
थोड़ी सी मुस्कुराहट बरकरार रखना,
सफर में अभी और भी क़िरदार
निभाने है।
सफ़र का मज़ा लेना है तो
सामान कम रखिए,
जिंदगी का मज़ा लेना है तो
अरमान कम रखिए।
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
~अहमद फ़राज़
बहुत कुछ सिखाया जिंदगी के सफर अनजाने ने,वो किताबों में दर्ज़ था ही नहीं
जो पढ़ाया सबक जमाने ने।
उम्र भर मंजिल की तलाश में रहे हम
सफर गुजर गया मगर फिर भी
मंजिल की आश में रहे हम।
सफ़र शायरी
कभी शहर है तो कभी गावं है,
ये ज़िन्दगी है कभी धुप है तो कभी छाँव है।
तुझे तेरा हमसफर मुबारक,
मुझे मेरा सफर मुबारक,
मिलेंगे कभी राह में हम,
तो होगा ये समा मुबारक।
हमसफ़र बनकर बीच सफर में उसने मुझे छोड़ा है
इस क़दर आईना समझ मेरे दिल को उसने
न जाने कितनी बार बार-बार तोडा है।
मुझे तो पता था तु कही और का मुसाफ़िर था,
हमारा शहर तो बस यूं ही,
तेरे रास्ते मैं आ गया था।
ज़ख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं,
छोङ इन बातों को
ज़िंदगी तू तो बता, सफर और कितना बाकी है…
कभी शहर है तो कभी गावं है,
ये ज़िन्दगी है कभी धुप है तो कभी छाव है।
मंजिल दूर और सफ़र बहुत है
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है
मार डालती ये दुनिया कब की हमे
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है
शाम हो रही है सफर में चलते चलते
बदनाम हो रही है जिन्दगी
उस हमसफ़र की याद में जलते जलते।
तुमसे दूर जाने के सफर में,
हमसफ़र बन जाती हैं तुम्हारी यादें।
चुपचाप चल रहे थे जिंदगी के सफर में,
तुम्हारी नजर पड़ी और गुमराह हो गए।
कर रही है अभी तय सफर ज़न्दगी,
कहीं ना कहीं तो होगी बसर ज़िन्दगी।
जिन्दगी के सफर में गुजर चुके पल
अब फिर नहीं आएंगे
दिल-ए-तमन्ना होगी उनको फिर से जीने की
मगर बस वो याद बनकर रह जायेंगे।
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं…
आँखों को अश्क का पता न चलता,
दिल को दर्द का एहसास न होता,
कितना हसीन होता जिंदगी का सफ़र,
अगर मिलकर कभी बिछड़ना न होता।
जिंदगी का सफ़र शायरी दो लाइन
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं,
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।
– “निदा फाजली”
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढ़ती रही।
– “अब्दुल हमीद अदम”
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा।
– “जावेद अख़्तर”
अजब मुसाफ़िर हूँ मैं मेरा सफ़र अजीब,
मेरी मंज़िल और है मेरा रस्ता और।
– “राजेश रेड्डी”
ज़िंदगी यूं हुई बसर तन्हा क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
– “गुलज़ार”
क्या बताऊं कैसे गुज़र रही है राह-ए-ज़िंदगी,
शामें तन्हा है और रातें अकेली।
आगे पढ़ें:
आपको ज़िन्दगी का सफ़र शायरी कैसी लगी हमें जरुर बताएं।
पल पल उसका साथ निभाते हम,
उसके लिए दुनिया भी छोड़ जाते हम।
और बीच समुंदर में पहुंच के फरेब किया उसने,
बो कहता तो किनारे पर ही डूब जाते हम।।
Yahi jindagi kya hai yah
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