जिंदगी का सच तो यही है यहाँ कभी गम तो कभी ख़ुशी है, कोई ख़ुशी से खिलखिला रहा है, कोई अपने गमों को बाँट रहा है तो कोई तन्हाई में किसी की यादों के संग रातें काट रहां है। सब की अपनी जिंदगी है, सबके अपने मायने हैं।
जिंदगी का सच शायरी
हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब,
इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब.
जिंदगी का सच बस यही है,
हर कोई आया है बस जाने के वास्ते
कुछ इस तरह फ़कीर ने ज़िन्दगी की मिसाल दी,
मुट्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी !
धीरे धीरे उम्र कट जाती है, जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है…
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता
आँखों को अश्क का पता न चलता
दिल को दर्द का एहसास न होता
कितना हसीन होता जिंदगी का सफ़र
अगर मिलकर कभी बिछड़ना न होता
ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं,
ये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया
कुछ ऐसे सिलसिले भी चले ज़िंदगी के साथ
कड़ियां मिलीं जो उनकी तो ज़ंजीर बन गए
– यूसुफ़ बहजाद
मेरी जिंदगी का सच क्या है
मेरी जिंदगी का सच क्या है चलती सांसें,
धडकता दिल और बस तेरी यादों का सिलसिला है
जिंदगी में जो चाहो हासिल कर लो
बस इतना ख्याल रखना कि,
आपकी मंजिल का रास्ता कभी
लोगों के दिलों को तोड़ता हुआ न जाए
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
फिर कोई मोड़ लेने वाली है ज़िन्दगी शायद …
अब के फिर हवाओं में, एक बे-करारी है
सुख-दुख के साए में जीना सिखाती है,
ज़िंदगी का सच है, ये हर पल बदल जाती है।
ये ज़िन्दगी जो मुझे कर्ज़दार करती रही,
कभी अकेले में मिले तो हिसाब करूँ
ज़िंदगी का खेल बड़ा अजीब होता है,
जो पास होता है, वही नसीब होता है।
ज़िंदगी का सच है, हर अपना पराया हो सकता है,
और जिसे पराया समझो, वही साथ निभा सकता है।
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है
आज इस ज़माने में…
वरना मेरी ज़िन्दगी का हर पन्ना,
पूरी किताब है.
सच यह है, हर सुख-दुख क्षणिक है,
ज़िंदगी एक सफर है, जिसमें सब अनमोल है।
जिंदगी का कडवा सच
जीते जी यहाँ कोसते हैं लोग…
आदमी अच्छा था ये सुनने के लिए मरना पडता है।
आईने के सामने सजता सवरता हैं हर कोई
मगर आईने की तरह साफ दिल रखता नहीं कोई
सुबह तो खुशनुमा थी, क्यों शाम मुझे फिर तनहा छोड़ गयी,
मंजिल दिखी ही थी, कि ज़िन्दगी फिर रास्ता मोड़ गयी..!!
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है
मरता नहीं कोई किसी के बगैर ये हकीकत है
ज़िन्दगी की लेकिन सिर्फ सांसें लेने को `जीना` तो नहीं कहते!
जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन,
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते
शिकायत तो बहुत है तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
पर चुप इसलिए हूं कि जो दिया तूने वो भी बहुतों को नसीब नहीं होता
ज़िन्दगी की राहों में.. ऐसा अक्सर होता है..
फैसला जो मुश्किल हो वो ही बेहतर होता है..!!
सही वक़्त पर पिए गए “कड़वे घूंट”
अक़्सर ज़िन्दगी “मीठी” कर दिया करते है”
आगे पढ़ें:
जिंदगी के सच को गहराई से समझने के लिए इसे अपनाना सीखें।